आजादी के लिए संघर्ष


पहाड़ी राज्यों के लोगों ने भी स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लिया था। इस क्षेत्र की स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य घटनाएँ निम्नलिखित हैं। :

  1. प्रजामंडल ने सीधे तौर पर साम्राज्य के अधीन आने वाले क्षेत्रों में ब्रिटिश दमन के विरुद्ध विरोध किया।
  2. अन्य रियासतों में सामाजिक और राजनितिक सुधारों के लिए आन्दोलन हुए हालाँकि यर आन्दोलन अंग्रेजों के विरुद्ध नहीं बल्कि राजाओं के विरुद्ध थे और इसलिए ये स्वतन्त्रता संग्राम का एक हिस्सा भर थे।
  3. ग़दर पार्टी के प्रभाव में 1914-15 में मंडी षड्यंत्र किया गया। दिसम्बर 1914 और जनवरी 1915 में मंडी और सुकेत राज्यों में गुप चुप सभाएं हुई और यह निर्णय लिया गया की मंडी और सुकेत के अंग्रेजों के अधीक्षक और राजा के वजीर की हत्या की जाएगी, खजाने को लुट लिया जाएगा और व्यास नदी पर बने पुल को उदा दिया जाएगा, हालाँकि षड्यंत्रकारियों को पकड़ लिया गया और उन्हें लम्बे समय की सज़ा हो गयी।
  4. पझोता आन्दोलन जिसमें सिरमौर रियासत के एक भाग ने विद्रोह किया 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन का विस्तार ही समझा जाता है।
  5. इस अवधि में राज्य से प्रमुख स्वतन्त्रता सेनानियों में डॉ वाई एस परमार, पदम् देव, शिवानन्द रमौला, पूर्णानंद, सत्यदेव, सदाराम चंदेल, दौलत राम, ठाकुर हजाएर सिंह, पहाड़ी गाँधी बाबा कांशी राम शामिल थे।
  6. स्वंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस पार्टी राज्य में और विशेष रूप से काँगड़ा में सक्रीय थी।